मंगलवार, 1 मई 2012

मित्रों उस्ताद शायर डां सत्य प्रकाश तफ्ता जी की ग़ज़ल पेश है।
(जू-बहरीन,ब-क़ैद चहार क़ाफि़येतैन)
जब पडी उनकी नजर ,तब हुई अपनी खबर
चल सकें जिस पर सभी, कब बनी ऐसी डगर?
जब मिले दुनिया से गम, तब बनी पैनी नजर
टूटने में दिल मिरा,   कब रही कोई कसर?
हो गया जब ख़ूने-दिल,तब मिली दिल की खबर
चीर देती है ये दिल,कब हुई किस की नजर?
हर खुशी धुंधला गई, जब हुई गम की सहर
प्यार ताजा हो गया, जब पडी पहली नजर
खुल गये सब रास्ते, जब पडी तिरछी नजर
हो गये सीधे सभी, जब खुली दिल की डगर
          " तफ्ता" किस्मत फिर गई
           जब फिरी उनकी नजर
बहूर- रमल(सालिम महजूफ़)
        रजज़ (मरफ़ूअ़ सालिम)

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