भारतीय ग्रामीण औरतों में आज भी एक व्यवहार देखने को मिलता है हालांकि पहले से बहुत बदलाव आज के समय में आ चुके हैं परन्तु इस तरह का व्यवहार आज भी हर जगह अक्सर देखने को मिल जाता है। काफी हद तक यही व्यवहार शहरों में भी है मैंने अक्सर देखा है कि जब कोई पुरूष मोटरसाईकिल या कार से जा रहा हो तो ये औरतें उस पूरूष से अपेक्षा करती हैं कि वह खुद गाडी को रोके और उसे बैठा ले, कईं मामलों में ऐसा होता है हालांकि सभी में नहीं। और जब वह पुरूष बिना गाडी रोके चला जाता है तो वह उक्त पुरूष को गाली देती है कि उसने गाडी नहीं रोकी,दूसरा पहलू यह है कि यदि कोई पुरूष स्वयं गाडी रोक कर बैठने के लिये आग्रह करे तो वह उसे फिर भी गाली देती है कि मुझे छेडता है,मेरे साथ अभद्रता का व्यवहार करता है
यह पहलू उस जगह लागू होता पाया गया है जहाँ पर पुरूष की गलत इच्छा नहीं थी हालांकि यह तथ्य ज्यादा सटीक है भारतीय परिवेश में कि पुरूष की इच्छा स्त्री पर अधिकतर गलत रहती रही है,हाँ आज इस सोच में काफी बदलाव आ चुका है। लेकिन जिस सन्दर्भ में हम बात कर रहे हैं उसमें यह पाया गया है कि स्त्रियाँ बडी विडम्भना में अपनी इच्छा जाहिर कर पाती हैं मुझे लगता है यही कारण रहा है कि भारतीय पुरूष ने इसीलिये औरत को अधिकतर चंचला या बेवफा होने का ओहदा दिया है। हालांकि मुझे ऐसा लगता है कि भारतीय पुरूष का स्त्री के प्रति अति घिनौनी सोच के कारण ही स्त्री में इस तरह के व्यवहार उत्पन्न हुआ है यह व्यवहार स्त्री ने विपरीत परिस्थितियों में स्वयं को कष्टप्रद स्थिति में ढालते हुये लागू किया है
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