मंगलवार, 10 नवंबर 2020

दोस्ती (लघुकथा)

 प्रमोद चौहान संस्था के प्रधान हैं और अधिकारियों पर प्रभाव रखते हैं समाज में छाप छोड़ते हैं लोग सम्मान करते हैं उनके दोस्त निशाना सिंह हैं जो उनके हर काम में हमेशा साथ रहे हैं और उनकी संस्था के सभी काम वही करते हैं उनके चेहरे के पीछे सब काम वही करते हैं  उनके काम से ही समाज में प्रमोद चौहान की पहचान है , निशान सिंह ही उनकी सभी योजनाएं तैयार  करते हैं जिससे वह समाज में अपना प्रभाव छोड़ पाते हैं एक तरह से निशान सिंह ने ही उनको यह पहचान दी है निशान सिंह  को अपना बच्चा  विदेश में पढ़ने भेजने के लिए  बहुत  धनराशि की आवश्यकता पड़ती है निशान सिंह प्रमोद से धन मांगता है और प्रमोद वादा करता है कि समय पर आपको जरुर मदद करेगा लेकिन वह समय भी आया निशान सिंह को पैसे की सख्त जरूरत थी लेकिन प्रमोद चौहान ने हर बार किसी ना किसी बहाने से टालता रहा और वादा करता रहा, तसल्ली देता रहा कि जरूर सहायता करूंगा आज नहीं तो कल ।

फ़िलहाल आप कहीं से काम चला लीजिए परंतु निशान सिंह समझ गया कि वह सिर्फ कहता है मेरे काम आने वाला नहीं इस तरह निशान सिंह ने अपने रिश्तेदारों व बैंक लोन लेकर अपने काम को अंजाम दिया इसी बीच प्रमोद चौहान अपने लिए बड़ा होटल खरीदता है और बैंक की किस्त में कम पैसे होने पर निशान सिंह से पैसे मांगता है कि 2 दिन के बाद लौटा दूंगा और निशान सिंह बेफिक्र होकर थोड़ी धनराशि उसको देता है वह ले लेता है वह 15 दिन बाद या एक महीने बाद लौटता है यह कई महीने होता है निशान सिंह ने इस घटना के बाद उससे पैसे मांगने बंद कर दिए लेकिन वह फिर भी मांग लेता है हर महीना किस्त के लिए पैसे मांग लेता है निशान सिंह वह भी दे देता है यह दोस्ती पैसे के मुकाम पर आती है तो दोनों दोस्तों में किस तरह का लेन देन है यह निशान सिंह सोचता है और समाज निशान सिंह को प्रमोद चौहान का सबसे पक्का दोस्त और उसकी नींव समझता है और समाज निशान सिंह की पीठ थपथपाता है लेकिन प्रमोद चौहान ने निशान सिंह के साथ क्या व्यवहार किया यह निशान सिंह का दिल जानता है।


सूबे सिंह सुजान