गुरुवार, 23 मई 2013

एक चिन्ता नहीं गई मन से……

एक चिन्ता नहीं गई मन से 
कब मिटेंगे ये कष्ट जीवन से।।

मैं समय ने बदल दिया कितना,
पूछता हूँ ये प्रश्न दर्पण से....।

वार्तालाप   बस  नयन  करते,  
प्रेम होता नहीं कभी तन से ।

आज मानव की रूचियाँ बदलीं,
प्रेम करने लगे हैं सम्पन से ।

तार्किक तथ्य है यही जग में,
प्रेम मिलता नहीं कभी धन से।

प्रेम बन्धन नही,सभी कहते,
प्रेम मिलता है,किन्तु बन्धन से।
ऐसे  प्रेमी,  "सुजान"  होते  हैं 
जो जिधर देखें कर दें पावन से।
                                       सूबे सिंह "सुजान"

तरही ग़ज़ल--आपसे मिल कर ये जाना दोस्ती क्या चीज़ है

आपसे मिल कर ये जाना दोस्ती क्या चीज़ है

अब मुझे महसूस होता है,खुशी क्या चीज़ है।।

ख़ून  बेमक़सद  बहाये, आदमी क्या चीज़ है,

आज तक समझा नहीं वो,जिन्दगी क्या चीज़ है।

धूप आई,  बर्फ पिघली, पानी बनकर बह गई,

ये हिमालय जानता है, बेबसी क्या चीज़ है।

कैसे सूरज एक पल में जादू सा कर जाता है,

रात मुझसे पूछती है रोशनी क्या चीज़ है।

अपने-आपे में नहीं रहता है अब मेरा ये दिल,

सोचता हूँ आज मैं, ये आशिकी़ क्या चीज़ है।

खुश थे बचपन में,जवानी तो नशे में ही कटी,

ये बताता है बुढापा, वापिसी क्या  चीज़ है।

खूबसूरत - खूबसूरत  सारी  दुनिया है मगर, 

मैं तो हैंराँ हूँ, मुहब्बत आपकी क्या चीज़ है। 

किस तरह पैदा किया माँ ने, समझना है यही,

तेल सरसों का निकलता है, फली क्या चीज़ है।

शब्दों का इक बाण,होठों की हंसी को छानता,

गुस्सा भी क्या चीज़ है,नाराजग़ी क्या चीज़ है।

सारी दुनियां  देखकर, फिर बैठना लिखने "सुजान"

शांत मन से सोचकर कहना, खुदी क्या चीज़ है।

शनिवार, 4 मई 2013

नज़्म—बेटे की चाह

वो लडकियों से नफ़रत तो नहीं करते

लेकिन बेटे से प्यार ते करते हैं

वो ऐसे माँ-बाप हैं, जो

अपनी शादी के लिये

तो सुन्दर लडकी की तलाश में निकलते हैं

लेकिन अपने घर में लडकी नहीं देख सकते

बेटे की चाह में वे….

तांत्रिकों तक जा पहुंचते हैं

और अपनी बुद्दि को ठेके पर दे देते हैं

और फिर शुरू करते हैं

दूसरों के बेटों का क़त्लेआम

और फिर भी बेटा नहीं पाते

लेकिन जब कोई दिखने में बेवकूफ

और सच में सही तांत्रिक मिलता है

जो उनकी रग को पहचान कर

करता है डाक्टरी इलाज……..,…………

और उस पुरूष को पहचान कर

उसकी स्त्री से करता है सम्बन्ध

और कर देता है उसे गर्भवती

मलता है उनको पुत्ररत्न

वे खुश हो जाते हैं

तांत्रिक की विधा पर

न्योछवर करते हैं और भी बहुत कुछ

लेकिन वो स्त्री जानती है

कि कैसे प्राप्त हुआ है पुत्र

और पहचानती है पुरूष की मानसिकता को

नहीं बोलती कभी भी बडा सच

कैसा उबड-खाबड और समुद्र सा है

उसका सीना…..

कौन जाने क्या –क्या होता है

उसके सीने के पार भी…………….

bhool jate hn

hamare ganv men chhote badon se pyar karte hn....
nagar men aate hi milna-milana bhool jate hn............

hamare ganv men chhote badon se pyar karte hn....
nagar men aate hi milna-milana bhool jate hn............