गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

गजल हालाते जायजा

अब देखता हूँ कौन है देता दुआ मुझे
सच बोलने की कैसी मिलेगी सजा मुझे-
पहचानते नहीं मेरे अपने भी वक्त पर,
अब इस जमाने से ही उठा ले खुदा मुझे
मैंने खरीदी कार जो मन्दिर के पैसों से,
सारा जमाना कहने लगा देवता मुझे
जनलोकपाल तेरी पिटाई से डरते हैं,
नेताओं का तो झूठा लगा वायदा मुझे
सुजानwww.facebook.com/sujankavi

मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

गजल-तरही मिसरे पर


खामोश ना रहें कुछ तो बात हम करें
चल एक  दूसरे  से  बात  हम  करें
कल जो हमारे बीच था अब वो नहीं रहा,
आओ कि उसकी याद में कुछ बात हम करें
वो जुल्म जुल्म हैं जो किये जानबूझकर,
अपने किये पे आँसू की बरसात हम करें
टकराव भी जरूरी हैं बदलाव के लिये,
लेकिन जरा सा प्यार से उत्पात हम करें
 sujan