गुरुवार, 23 मार्च 2023

सवाल भी हमीं हैं जवाब भी हमीं हैं।

 सारे सवाल हमें स्वयं से करने थे लेकिन हम सारे सवाल दूसरों से करने में समय नष्ट करते रहते हैं।

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सारे जवाब भी हमें ही देने थे

लेकिन हम दूसरों से मांगने में समय नष्ट करते रहते हैं।


वे लोग असली अपराधी हैं

जो ग़लत मानसिकता को तैयार करके मानव से मानवता,

समाज से सामाजिकता,

वातावरण से स्वच्छता,

राष्ट्र से राष्ट्रीयता,

प्रेमी, प्रेमिका से प्रेम,

व्यवहार से व्यवहारिकता,

हृदय से सहृदयता,

आग से उष्णता,

जल, वायु से निर्मलता,

ऐसी अनेक वस्तुओं से उनके होने का विशेष गुण अपने स्वार्थ के लिए विशेष रूप से छीन रहे हैं।


विज्ञान हमने नहीं बनाया है अपितु प्रकृति की प्रक्रिया में मौजूद है हम उसे जानने के प्रयासों में रत हैं और वर्तमान में हम शीघ्रता से जान पा रहे हैं।


©सूबे सिंह सुजान

रविवार, 12 मार्च 2023

लघुकथा - आशीर्वाद

 स्कूल का एक शिक्षक अपनी प्रधानाचार्या डॉ ममता को उनके द्वारा कक्षाओं में भेजे गए हिन्दी भाषा में लिखे नोट में आशीर्वाद शब्द की वर्तनी में मात्रा की त्रुटि बता रहा था और प्रधानाचार्या महोदया उस त्रुटि को यह कहकर सही बता रही है कि मैं हिन्दी साहित्य में पी एच डी हूँ। मुझसे गलती हो ही नहीं सकती लेकिन उस शिक्षक ने उक्त मात्रा को सही करके लिख दिया और अपनी कक्षा में पढ़ाने लगा।


सूबे सिंह सुजान