बुधवार, 29 मई 2024

ढोंगी प्रगतिशीलता

 वे स्वयं को प्रगतिशील व मानवता का प्रहरी कहते नहीं थकते थे।

मैंने बचपन से अब तक साहित्य लेखन व साहित्यिक कार्यक्रमों में भागीदारी की है और साहित्यिक आयोजन स्वयं करवाता रहा हूं और साहित्य संस्था को अग्रणी बनाने में अपनी हर संभव से आगे बढ़ कर कोशिश करता रहा हूं।

कईं दफा वह प्रगतिशील विचारधारा के मित्र मेरे साहित्य कार्य पर भूरि भूरि प्रशंसा करते थे लेकिन 

एक बार जब उनके विचारों के प्रतिकूल विचार सामने रखे तो वह आपा खो बैठे और गालियां देने लगे मैंने उनको याद दिलाया कि आप मानवाधिकारों के प्रहरी हैं लेकिन थोड़ा सा दूसरे को कहने का अधिकार नहीं देते यह कैसा प्रगतिशील व मानवता है?

और उन्होंने गुस्से में अपनी लिखित प्रशंसा वापिस मांगी और पुनः लिखित में आलोचना कर डाली।

अर्थात उनके विचारों के साथ जो बात मेल खाती है वही कहें अन्य कुछ न कहें और यदि कोई कहे तो वह थूक कर चाट लेते हैं।


शुक्रवार, 17 मई 2024

जैसे को तैसा या ऐसे को ऐसा कहिए। दुनिया का कारोबार इनसे ही चलता है


 जैसे को ऐसा। दुनिया का कारोबार जैसे को ऐसा से चलता है। 

जो व्यक्ति जिन गुणों से युक्त होता है उसको वैसा ही पसंद आता है और तभी उनकी ठीक निभाई हो जाती है।

एक चोर को चोरी करते समय यह ध्यान रखना पड़ता है कि इस समय कौन कौन व्यक्ति उसको देख सकते हैं या रास्ते में मिल सकते हैं वह इस बात का पहले से ध्यान रखता है और यदि मिल भी जाएं तो उस समय में उसके जैसे ही मिलेंगे और यदि मिल गए तो उनके दोनों का लाभ इसी बात पर तय होगा कि हमारे काम एक जैसे हैं तो उनका समझौता हो जाता है और इस तरह वे दोनों साझेदार बन कर अपने काम करते हैं और झगड़े से बच जाते हैं।


इसी प्रकार अन्य काम करने वाले सभी लोग अपने अपने गुणों से भरपूर व्यक्ति को ढूंढ लेते हैं और अपना जीवन यापन करते हैं और सच में इस व्यवस्था से ही दुनिया का कारोबार चलता है यदि एक गुणों के विपरीत प्रभाव वाला व्यक्ति मिल जाता है तो वह उम्र भर लड़ते रहते हैं और मालूम नहीं कब ज़्यादा हानि कर बैठते हैं।


शादी के बाद जितने संबंध विच्छेद होते हैं वह भी एक दूसरे के विपरीत गुणों के प्रभाव के  कारण होते हैं ।

हमें हर समय एकात्मकता की ख़ोज रहती है और हम एकात्मकता की दिशा में चलते हैं शिक्षा यदि एकात्मिक है तो वह मानव के लिए लाभकारी है यदि उसमें विपरीत प्रभाव है तो वह मनुष्य में दुर्भावना पैदा करेगी।

बहुत पुरानी एक कहावत है ।

जैसे को तैसा।

या हरियाणा में कहावत है कि "लंगड़े को खूंडा सौ कौस से टकरा जाता है।"

जिसका अर्थ है कि एक भाव या गुणों वाले व्यक्ति चाहे सौ कौस दूर रहते हैं लेकिन वह आपस में एक दिन मिल जाते हैं क्योंकि उनकी उनसे ही ठीक निभाई हो सकती है अन्य से नहीं हो पाती।

प्रकृति द्वारा प्रदत्त गुण ही प्रकृति के संचालन में सबसे ज्यादा सहयोगी हैं।

विज्ञान और डॉक्टर कहते हैं कि जिस वातावरण में आप रहते हैं उसी वातावरण में पैदा अनाज, सब्जी,फल आदि उसके लिए ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, लाभकारी हैं।

क्योंकि वह समावेशी हैं वह वातावरण अनुकूल हैं इसी प्रकार मनुष्य के भाव,गुण, आदतें भी समावेशी, अनुकूल ही काम करते हैं। सृष्टि में हर वस्तु, व्यक्ति अलग अलग गुणों से सुसज्जित होकर भी अपने लिए एकात्मकता की ख़ोज में रहती हैं इससे पता चलता है कि परम आत्मा है जो सभी को सम भाव की ओर अग्रसर करती है और सबकी चाह उसी ओर अग्रसर है।