मंगलवार, 8 अप्रैल 2014

sujankavi: ऊर्दू अ़रूज के शायर प्रोफेसर- सत्य प्रकाश “तफ़्ता”...

sujankavi: ऊर्दू अ़रूज के शायर प्रोफेसर- सत्य प्रकाश “तफ़्ता”...:   प्रोफेसर  सत्य प्रकाश “तफ़्ता” ज़ारी  ऊर्दू अ़रूज़ के, ऊर्दू अदब में जाने माने (हस्ताक्षर) शाइर हैं। वे स्वर्गीय क़िब्ला डा.ओम प्रकाश अग्र...

sujankavi: (लघुकथा)—( डियर)

sujankavi: (लघुकथा)—( डियर): वे दोनों शादीशुदा थे और गवर्न्मेंट सर्विस में काम करते थे उनमें किसी तरह का कोई अफेयर्स जैसा कुछ नहीं था तथा दोनों नये विचारों के थे  औरत खु...

सोमवार, 7 अप्रैल 2014

(लघुकथा)—( डियर)

वे दोनों शादीशुदा थे और गवर्न्मेंट सर्विस में काम करते थे उनमें किसी तरह का कोई अफेयर्स जैसा कुछ नहीं था तथा दोनों नये विचारों के थे  औरत खुद को ज्यादा खुले विचारों वाली मानती थी। और अन्य पुरूष मित्र से बात करने में परहेज नहीं करती थी इसलिये दोनों फोन पर मैसेज  करके भी कंई बार बात करते थे। और फेसबुक भी यूज करते थे लेकिन आपस में फेसबुक पर मित्र नहीं थे। लेकिन मयूच्वल मित्रों के माध्यम से कंई पोस्ट पढ लेते थे। पुरूष मित्र बहुत ही खुले विचारों का था लेकिन वह कभी किसी से यह नहीं कहता था कि मैं खुले विचारों का हूँ। तथा अक्सर अपने में खोया रहता था हालांकि यह घमण्ड की श्रेणी में नही आता। वह कभी औरतों की बातें ठीक से नहीं समझ पाता था, उसकी अपनीअलग दुनियां थी। एक दिन उसने स्त्री मित्र के किसी अच्छे मैसेज को पढने के बाद धन्यवाद स्वरूप थैन्क्स डियर लिख दिया। तभी पलट के मैसेज आया कि आपको बात करने की तमीज नहीं है। वह सकपका गया और कुछ नहीं कह सका सिर्फ ओह……..।के सिवा।

                                                                                                                                                                                                      

                     उसके बाद उसने मैसेज करने की हिम्मत छोड दी। हालांकि उधर से भी कोई जवाब नहीं आया। लगभग महीने भर बाद उन दोनों के मयूच्वल मित्र की किसी पोस्ट पर सामान्य बात पर पुरूष मित्र ने अपने दार्शनिक अन्दाज में लिखा कि – जो नाम के मीठे होते हैं वे सच में भी मीठे व प्यारे हों ये जरूरी तो नहीं। और उनकी उसी मित्र ने वह पोस्ट पढने के बाद फिर वही गुस्सा जाहिर किया और बीच के मित्र को कहा कि उनसे कहिये कि माफी मांगे। अब वह यह नहीं समझ पाया कि किस बात की माफी, खैर बीच के मित्र के अनुरोध पर वह माने और मैसेज के जरिये माफी की अपील की जो कि खारिज़ कर दी गई पलट के मैसेज आया कि यह माफी नही है क्योंकि यह किसी के कहने पर मांगी गई है। उसने पुनः लिखा कि मैं निपट मूर्ख हूँ दिगभ्रमित हूँ,मुझे ये भी नहीं मालूम कि मैं किन शब्दों का प्रयोग करके माफी मांगू, समझ नहीं पा रहा हूं मेरे शब्दकोश में डियर का अर्थ प्यारा ही था। मैं नहीं समझ सका था कि इसके कुछ अलग-अलग व्यक्ति के लिये अलग-अलग अर्थ होते हैं। कृपया करके मुझे निशब्द होने की इजाजत दें अन्यथा मुझे मेरी सजा बतायें मैं सजा कबूल करता हूँ ।

                                                                                                                                                                                                    लेखक- सूबे सिंह सुजान 

शुक्रवार, 4 अप्रैल 2014

पिता जी

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पिता जी जब बूढे हुये तो चोट मिली और अंतिम सात महीने चोट ने दुख दिया और फिर चल बसे।

मुस्कुराहट सकारात्मक शक्ति है।

जीवन में मुस्कुराहट बहुत जरूरी है। मुस्कुराते हुये को देखकर ,सब अनायास ही मुस्कुरा देते हैं। मानव अपनी सब परेशानियों से बचना चाहता है जब कोई परेशान हो और समस्या का हल न मिल रहा हो तो सामने उस समय कोई मुस्कुरा भर दे तो उसकी चिंता गायब हो जाती है। और सारा तनाव रफूचक्कर हो जाता है। इसलिये मनुष्य को मुस्कराते रहना चाहिये। मुस्कुराहट गमों का इलाज तो है ही साथ ही रोगों से दूर भी रखती है। लेकिन मुस्कुराहट को पाने के लिये हमें अपनी सोच को सकारात्मक रखना पडता है। सोच में सकारात्मकता ही हमें चिंताओं से दूर रखती है। यदि उच्च विचारों के सानिंदय में रहेंगे तो हमें सकारात्मकता की प्रेरणा मिलती है।सदैव से ऋषियों मुनियों ने सत्य का साथ देने,सद्गुरूओं के साथ आचार-विचार करने की शिक्षा दी है। इसलिये मुस्कुराहट एक सकारात्मक शक्ति है जो मनुष्य को जीवन जीने की शक्ति प्रदान करती है।और कठिनाईयों को कम करती है।

गुरुवार, 3 अप्रैल 2014

जब राजनीति हाथ पसारे दिखाई दे…

जब राजनीति हाथ पसारे दिखाई दे।

जब अपना भी किनारे-किनारे दिखाई दे।।

उस वक़्त राजनीति में नेता को छान लो,

बेदाग,साफ जो हो उसे नेता मान लो ।।