शनिवार, 20 अप्रैल 2024

ग़ज़ल - अपना अहंकार मारना होगा।

 ग़ज़ल -


अपना अहंकार मारना होगा।

हमको हमसे भी हारना होगा।।


हम जुदा किसलिए हुए यारो,

ये भी हमको विचारना होगा।


हम पुरस्कार मेहनतों को दें,

झूठा परदा उतारना होगा।


कुछ न कहना है दूसरों से हमें,

ख़ुद ब ख़ुद को सुधारना होगा।


दूर मत बैठो,पास आ जाओ,

काम बिगड़ा संवारना होगा।


सूबे सिंह सुजान


बुधवार, 17 अप्रैल 2024

सत्य सनातन

 आपको सत्य भी, फिर झूठ दिखाई देगा,

आप जो सत्य को स्वीकार नहीं कर सकते।।

सूबे सिंह "सुजान"


शुक्रवार, 12 अप्रैल 2024

आधुनिक होना मानवता के गुणों के साथ डकोसला मात्र है।


 प्रकृति द्वारा हर चीज़ व हर जीव, निर्जीव, जन्तु, तन्तु सब एक विशेष उपार्जन हेतु निर्मित किए गए हैं।

महिलाओं में विशेष अपने तरह के गुण हैं वह अपने जीवन में सदैव उनका अपने भले या स्वार्थ के लिए प्रयोग करती हैं उसी प्रकार पुरुष भी अपने विशेष गुणों का प्रयोग करते हैं।


ईमान क्या है?

स्वाभिमान क्या है?

बहुत अधिक व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए नीच गुणों का प्रयोग करते हैं लेकिन बहुत कम व्यक्ति बचे हैं जो अपने स्वाभिमान के लिए अपनी आत्मा,ग़ैरत कभी नहीं बेचते वरना गैरत बेचने वालों की मंडी में भीड़ लगी है।

जागरूकता क्या है?

मनुष्य अपने जीवन में जितना यथार्थ ज्ञान अर्जित करता है वह उतना जागरूक होता है मनुष्य का जन्म के पश्चात निरंतर जागरूक होने का क्रम जारी रहता है और यह जागरूकता ही हमारे जीवन का लक्ष्य होता है कौन व्यक्ति जितनी जागरूकता प्राप्त करता है वह उतना इस सृष्टि को जान पाता है।


यदि वर्तमान समय में स्वयं को सर्वगुण संपन्न,शिक्षित मानने वाली महिलाएं भी अपने स्वार्थ के लिए अपने महिला होने के कार्ड को कहीं भी खेल पाती हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं है क्योंकि यह प्रकृति की देन है वह सर्वगुण संपन्न होने का डकोसला मात्र है जबकि वह स्वाभिमान,ईमान नहीं है वह तो वह छोटे से स्वार्थ के लिए बेच देती हैं। रिश्ते नाते उनके लिए अपने स्वार्थ सिद्ध करने के साधन मात्र होते हैं। इस प्रक्रिया में स्वयं को सर्वगुण संपन्न,शिक्षित, आधुनिक कहना यह स्वयं व समाज के साथ छल कपट ही है। सर्वगुण संपन्न कोई व्यक्ति हो ही नहीं सकता लेकिन यह जो आधुनिकता और माडर्न होने का डकोसला है यह मानवता के गुणों के साथ घिनौना व्यवहार है।


शनिवार, 30 मार्च 2024

विज्ञान केवल जागरूकता का दूसरा नाम है।

 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में हम जो कुछ भी हासिल करते हैं वह हम ख़ोज करते हैं ख़ोज शब्द से अर्थ स्पष्ट होता है कि उक्त वस्तु, विचार, तकनीक की हमने पहचान कर ली है,जान ली है, ख़ोज ली है। लेकिन वह मौजूद तो वातावरण में पहले से ही थी यह ख़ोज हमारी जागरूकता है।

जो लोग, व्यक्ति आम आदमी से हटकर अपनी जागरूकता को बढ़ावा देते हैं वह प्रकृति को ओर ज़्यादा पहचान लेते हैं और यह पहचान लेना ही विज्ञान का दूसरा नाम है।



शुक्रवार, 29 मार्च 2024

आज तक जो हुआ, वही होगा। सूबे सिंह सुजान

 आज तक, जो हुआ,वही होगा।

नाम इसका ही ज़िन्दगी होगा।

हाथ ख़ाली इमानदारी के,

साथ कोई न आदमी होगा।

लूटने वाला,हंस भी लेता है,

सच्चा इंसान ही दुखी होगा।

झूठ से काम कर लिया उसने,

सबको लगने लगा,सही होगा।

इसके आकार पर न जाईये,

आज नाला है कल नदी होगा।


सूबे सिंह सुजान


सोमवार, 11 मार्च 2024

आपसे दोस्ती असाधारण

 आदमी, आदमी असाधारण

हर किसी की खुशी असाधारण।


आपसे दोस्ती असाधारण 

फिर हुई दुश्मनी असाधारण।


सूबे सिंह सु


जान