मंगलवार, 12 सितंबर 2017

जबसे रहता हूँ मैं सयानों में ग़ज़ल



ग़ज़ल
जबसे रहता हूँ मैं सयानों में
दर्द होने लगा है कानों में

आँख वालों ने देखना था ये
अंधे राजा हुए हैं कानों में

सारे शब्दों ने अर्थ बदले हैं
क्या भरें आज रिक्त स्थानों में

अब तो दिन रात गर्मी लगती है
आ गये हम नये मक़ानों में

सारी सड़कें भरी भरी रहती
कौन रहता है आशियानों में

आइये आँख खोल लेते हैं
हुस्न देखा कंई जमानों में

खूब क़ानून की समझ आयी
लोग हर रोज जाएं थानों में

वक्त रहते नहीं समझ पाते
ऐसी बीमारी है जवानों में

बेवफ़ा से वफ़ा की है उम्मीद
रहते हो आप किन जमानों में

दर्द सारा उड़ेल देता हूँ
आपके सामने,तरानों में

चल चलें, अब यहाँ से चलते हैं
दम घुटा जाए कारखानों में ।

ऐ परिन्दों जरा तुम्हीं झुकना
आदमी भी है आसमानों में ।

सूबे सिंह सुजान

बेज़ार साहब का शेर

जानता हूँ मैं तैरना,फिर भी ,
तेरी आँखों में डूब जाता हूँ ।
बाल कृष्ण बेज़ार

कुरूक्षेत्र के मशहूर उर्दू शायर श्री बाल कृष्ण बेज़ार साहब 9सितम्बर को दुनिया छोड़ गये


कुरूक्षेत्र :- कुरूक्षेत्र में उर्दू अदब की पैंतीस साल पुरानी संस्था के संस्थापक सदस्यों में से एक व वर्तमान में अदबी संगम कुरूक्षेत्र के प्रधान श्री बाल कृष्ण बेज़ार साहब हमारे बीच नहीं रहे ।
बाल कृष्ण बेज़ार साहब पिछले कुछ दिनों से कैंसर से पीड़ित थे लेकिन उन्होंने कभी साहित्य के प्रति अपनी इच्छाशक्ति कम नहीं होने दी उनको आठ मार्च को ही कैंसर का पता चला तो उसके बाद भी पी जी आई चंडीगढ़ में इलाज करवाते वक्त भी वे अप्रैल में पंचकूला हरियाणा साहित्य अकादमी के कार्यक्रम में पहुँचे और उसके बाद जब हालत बेहद नाजुक हो गई तो हमसे कहने लगे कि मेरा वक्त आ गया है मेरे लिए आखिरी कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाए जिसे अदबी संगम कुरूक्षेत्र ने "जश्ने बेज़ार " के नाम से मई में पंचायत भवन कुरूक्षेत्र में आयोजित किया गया जिसमें दूर दराज के शायरों ने भी भाग लिया वे ताउम्र साहित्य सेवा में तत्लीन रहे बेलौस,बेलाग ज़हनीयत के मालिक व शायरी में हाजिर जवाबी , भारत ही नहीं पाकिस्तान तक के शायरों के  हज़ारों शेरों को याद रखने वाले व मंच संचालन में माहिर तथा बेखौफ व्यक्तित्व के धनी आदरणीय बाल कृष्ण बेज़ार साहब का जन्म 20.04.1941को अमीन गाँव में हुआ था और वे 76 वर्ष की आयु में कल हमारे बीच से विदा हो गये ।
उनका शेर है - "ठोकरें उसने ही खाई हैं जमाने भर की,
एक वो शख़्स जो दुनिया का भला करता था "

अदबी संगम कुरूक्षेत्र की कार्यकारिणी उनके परिवार को श्रद्धांजलि भेंट करता है और उनकी आत्मा की शांति के लिए परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करता है ।

अदबी संगम कुरूक्षेत्र 
: कुरूक्षेत्र की सबसे पुरानी साहित्य संस्था अदबी संगम कुरूक्षेत्र के प्रधान श्री बाल कृष्ण बेज़ार हमारे बीच नहीं रहे ।
कुरूक्षेत्र :- कुरूक्षेत्र में उर्दू अदब की पैंतीस साल पुरानी संस्था के
संस्थापक सदस्यों में से एक व वर्तमान में अदबी संगम कुरूक्षेत्र के प्रधान
श्री बाल कृष्ण बेज़ार साहब हमारे बीच नहीं रहे ।
बाल कृष्ण बेज़ार साहब पिछले कुछ दिनों से कैंसर से पीड़ित थे लेकिन उन्होंने
कभी साहित्य के प्रति अपनी इच्छाशक्ति कम नहीं होने दी उनको आठ मार्च को ही
कैंसर का पता चला तो उसके बाद भी पी जी आई चंडीगढ़ में इलाज करवाते वक्त भी वे
अप्रैल में पंचकूला हरियाणा साहित्य अकादमी के कार्यक्रम में पहुँचे और उसके
बाद जब हालत बेहद नाजुक हो गई तो हमसे कहने लगे कि मेरा वक्त आ गया है मेरे
लिए आखिरी कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाए जिसे अदबी संगम कुरूक्षेत्र ने
"जश्ने बेज़ार " के नाम से मई में पंचायत भवन कुरूक्षेत्र में आयोजित किया गया
जिसमें दूर दराज के शायरों ने भी भाग लिया वे ताउम्र साहित्य सेवा में तत्लीन
रहे बेलौस,बेलाग ज़हनीयत के मालिक व शायरी में हाजिर जवाबी , भारत ही नहीं
पाकिस्तान तक के शायरों के  हज़ारों शेरों को याद रखने वाले व मंच संचालन में
माहिर तथा बेखौफ व्यक्तित्व के धनी आदरणीय बाल कृष्ण बेज़ार साहब का जन्म
20.04.1941को अमीन गाँव में हुआ था और वे 76 वर्ष की आयु में कल हमारे बीच से
विदा हो गये ।
उनका