मंगलवार, 21 फ़रवरी 2023

बहुत मसरूफ़ होकर याद उसकी भूल जाता हूं

 लगाना हाज़िरी हर रोज़ अपनी भूल जाता हूं।

बहुत मसरूफ़ होकर याद उसकी भूल जाता हूं।


समझ बैठा, महब्बत में तुम्हारी, कुछ महब्बत है,

ज़माने ने,मगर कर ली तरक्की भूल जाता हूं।


सूबे सिंह सुजान


शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2023

जो अज्ञानी है वह सवाल करता है

 जिस बात को, गुत्थी को जब आदमी जान लेता है या समझ लेता है तो फिर उसके बारे किसी से सवाल नहीं करता।

जिस प्रकार बच्चा जब तक जिस चीज़ को नहीं जान लेता तब तक वह बार बार पूछता रहता है और जान लेने के बाद दुबारा पूछता नहीं।

हर ज्ञान की बात इसी प्रकार हैं।


इसी प्रकार भगवान है जब तक मनुष्य उनको जान नहीं लेते तब तक लगातार प्रश्न करेंगे और जो जान लेते हैं वह प्रश्न करना बंद कर देते हैं।

इस प्रक्रिया में हमारे ज्ञान, बुद्धि का भी पता चलता है कि हम कितना समझ सकते हैं और कितना नहीं क्योंकि प्रकृति सबके लिए समान रूप से व्यवहार करती है

सूरज कभी अपनी धूप अलग अलग नहीं देता, फूल खुश्बू सबको बराबर देते हैं यह लेने वाले पर निर्भर है वह किस प्रकार ग्रहण करता है किसी को खुश्बू आते ही आत्मविभोरता प्राप्त होती है तो कोई उसमें मीन मेख़ निकालता रह जाता है वह खुश्बू को उसकी सार्थकता में ग्रहण नहीं कर पाते और आलोचना में समय नष्ट करने लगते हैं।

अर्थात अज्ञानी ही हमेशा सवाल करते हैं और ज्ञानी उनके जवाब देते हैं।


बेसबब दिल में दर्द भर आया

 बेसबब दिल में दर्द भर आया

मुझको कोई नहीं नज़र आया


बेवजह लाद ली थी चेहरे पर,

मुस्कुराहट उतार कर आया।


शुक्रिया आपने दिए धोखे,

मुझको गुस्सा न आप पर आया


दिल लगाना बहुत जरूरी है,

होश भी दिल लगाने पर आया।


ए ख़ुदा इसकी भी ख़बर ले ले,

तेरे दर एक बेख़बर आया।


मेरा बिगड़ैल दिल भटकता था,

ठोकरें खा के राह पर आया।


है शुरुआत मुश्किलों भरी,

आगे आगे सहल सफ़र आया।


सूबे सिंह सुजान

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023

प्रकृति करती है

 सब काम प्रकृति करती है। मनुष्य जितने भी काम करता है वह सब प्रकृति की प्रक्रिया पर करता है वह सब काम प्रकृति का हिस्सा है।

मनुष्य जितने काम करता है जैसे काम करता है प्रकृति उसको वैसा ही परिणाम देती है।