मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018

लघुकथा (बुरा व्यक्ति )

लघुकथा       ( बुरा व्यक्ति) 




कपिल आज स्कूल के बहुत से कामों में व्यस्त था लगभग हर काम को पूरा करने की हमेशा कोशिश करता आया है ।
स्कूल में स्टाफ की कोई कमी नहीं थी लेकिन हैड मैडम को जो काम जरूरी करना होता था वह समय पर काम को भूल जाती तो भी कपिल बिना कहे कर देता था ।
कपिल की यह आदतें इतनी बुरी भी हो सकती हैं उसने सोचा नहीं था ।

एक दिन स्टाफ सदस्यों में से एक मैडम ने बिना वजह उसको बुरा कहना शुरू कर दिया तो स्टाफ के सभी सदस्य कुछ न बोले और इसे उसका निजि मामला बताने लगे वह सबसे गुहार लगा रहा था कि आप सब एक परिवार के सदस्य हैं मेरी गलती हो तो बताओ ।
लेकिन सब अपने यह निजी मामला बताने लगे कपिल यह सोचकर पागल हो रहा था कि उसका कसूर क्या है उसे समझ नहीं आ रहा था एक दिन उसे स्कूल का काम करते हुए रजिस्ट्रर रिकार्ड में पेज चिपकाये पाये जिनमें उस मैडम के पति की कमियों का जिक्र था जो रेजुलेशन कपिल ने डाला था तब उसकी समझ में आया कि यह मुझे बुरा क्यों कहा जा रहा था ।
हमारे समाज के जागरूक शिक्षकगण चुप थे । वह अकेला स्वयं को साफ करने की लड़ाई लड़ रहा था । वे उसकी बातें बना बनाकर मजे ले रहे थे ।



सूबे सिंह सुजान,कुरूक्षेत्र,हरियाणा 

मोबाइल : 9416334841


काफिया,रदीफ पर बहुत कम शब्दों में जानकारी

कविता लिखने वाले नव कवियों को प्रारंभिक स्तर पर ध्यान देने योग्य बहुत थोड़ी सी बातें ।


कविता को पहले पहल तो अपने वैचारिक स्तर पर ठीक होना ही चाहिए ।बस थोड़ा बार बार दूसरों को पुराने,नये अच्छे कवियों को पढ़ें । कविता की गतिशीलता,लयात्मकता को आत्मसात करें ।

तुक या काफिया क्या है यह थोड़ा समझना चाहिए ।

जैसे पंक्तियों के अंत में हम जो लय मिलाते हैं 

आघात ।
बाप ।।
?
यह सही नहीं है 

आघात के साथ 
बात,रात,बरसात सही हो सकते हैं ।

उर्दू में हम काफिया कहते हैं जिसमें लय को निर्धारित किया जाता है और जो लयात्मक शब्द के पीछे शब्द होते हैं उन्हें रदीफ कहते हैं अर्थात जो काफिया के पीछे बार बार प्रयोग होते हैं ।
जैसे -..

मेरा शेर है 

मौसम बहुत खराब है थोड़ा संभल के चल 
चेहरा तेरा गुलाब है थोड़ा संभल के चल ।
खबरें बहुत बुरी बुरी पढ़ने में आ रही 
दुनिया हुई खराब है थोड़ा संभल के चल ।

यहाँ खराब,गुलाब,खराब निम्न शब्द काफिया हैं जो लय निर्धारित करते हैं ।
इनके पीछे के शब्द जो पुर्ावृति करते हैं "है थोड़ा संभल के चल "

यह रदीफ कहलाती है ।

खैर फिलहाल इतना सीखो,अभ्यास करो 
फिर और बताऊंगा।

सूबे सिंह सुजान

सोमवार, 12 फ़रवरी 2018



कुरूक्षेत्र :- अदबी संगम कुरूक्षेत्र व सार्थक साहित्य मंच कुरूक्षेत्र का सांझा कवि सम्मेलन आज प्रेरणा वृद्ध आश्रम,आकाश नगर,सलारपुर रोड ,कुरूक्षेत्र में श्री सी आर मौद्गिल की अध्यक्षता में हुई ।


आज के कवि सम्मेलन में शशि किरण जी दिल्ली से मुख्य अतिथि रही । शहर के व्यापारी और समाजसेवी श्री जय भगवान सिंगला जी ने सभी का स्वागत किया । कार्यक्रम का संचालन शायर शमीम हयात जी ने किया ।


सर्व प्रथम श्री रत्न चंद सरदाना जी की काव्य पुस्तक "मस्त मस्त हरियाणा " का विमोचन किया गया ।


कवि सम्मेलन में कविता पाठ करने वाले कवियों में गायत्री कौशल आर्य, शकुंतला शर्मा , डॉ बृजेश कठिल, अन्नपूर्णा,डॉ बलवान सिंह , सुधीर ढांढा , करनैल खेड़ी , दीदार सिंह कीरती, आर के शर्मा, कस्तूरी लाल शाद, ममता सूद, जय भगवान सिंगला, सूबे सिंह सुजान, गुलशन ग्रोवर , जीवन बख़्शी, कविता रोहिला, रत्न चंद सरदाना, शमीम हयात , ओम प्रकाश राही, डॉ सी डी एस कौशल, डॉ रोहताश गुप्ता, रेणु खूगर, राजकुमार सैनी ,मोती राम तुर्क, संजय मित्तल,गंगा मलिक, मीना कोहली,इन्दु थापर, सभी ने अपनी बेहतरीन कविता को सुनाया ।


इसके बाद केशव मेहता की टेली फिल्म "यादें 1947" का पर्दशन किया गया सबको दिखाई गई जिसका उद्घाटन बटन दबा कर जिला उपायुक्त सुश्री सुमेधा कटारिया जी ने किया ।

जिसमें भारत विभाजन की रक्तरंजित यादें दर्शायी गई हैं ।

शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2018

लौटना

                                  लौटना  
लौटना तो होगा ही
घर से , दफ़्तर
दफ़्तर से घर,
जिंदगी का सफर.........
लौटना तो होगा ही..

तुम नहीं भी लौटना चाहो
लेकिन लौटना तो होगा ही।

गुरुवार, 1 फ़रवरी 2018

महँगाई का रोना छोड़ दें ।

जिन लोगों के पास कार है और रोज पैट्रोल के लिये पैसे हैं , जो लोग चार महीनों में मोबाइल बदल लेते हैं , जो लोग महँगे से महँगा सोने का आभूषण खरीदते हुये थोड़ा सा भी घबराते नहीं,  वे लोग अनाज, सब्जियों , दालों के रेट पर रोते देखे जाते हैं ।

                                            देश के लिये , देश की जनता के लिये  महँगाई पर रोना छो़ड़ दें ।
क्योंकि जो व्यक्ति आपको जीवन जीने का पहला संसाधन , रोटी, कपड़ा , मकान देता  है आप सबसे कम कीमत उसको दे रहे हैं  अपने अंदर झाँक कर देखिये सच से आँखें मिला कर देखिये।