गुरुवार, 13 अप्रैल 2023

कैक्टस और टेसू ने कठोरता और गर्मी को चुना है

 कैक्टस के फूल की अपनी ही तरह की, अपनी ही मर्जी की ख़ूबसूरती है उन्होंने खिलने का मौसम भी ऐसा चुना है जिसमें मौसम परिवर्तन होता है और फ़सल पक कर कटती है लेकिन इस दुनिया में बैसाखी पर्व पर इस फूल से बेहतरीन ख़ूबसूरती भी देखी जा सकती है और इस मौसम अनुसार कपड़े पहनना और रंगों का चयन करना यह क्या कम खूबसूरत होगा। यह देखकर कईं बार हम आह भरकर रह जाते हैं और खूबसूरती को मुखरित नहीं करते लेकिन पहचान लेते हैं।


दूसरे टेसू, अर्थात पलाश ने भी यही मौसम चयन किया है वह ढाक के पेड़ पर खिलता है ढाक का पेड़ देखने में अन्य पेड़ के सामने उतना सुन्दर नहीं है लेकिन उसके टेसू देखते ही बनते हैं उसका रंग कितना चटक, कितना तीखा होता है ढाक की कणी अर्थात गोंद भी लगभग इसी रंग में होती है और उसका आयुर्वैदिक गुण और भी लाभदायक होता है। 

लेकिन दूसरी ओर कैक्टस भी कांटे लिए होता है उसको हाथ लगाना बहुत मुश्किल है अर्थात बेहद खूबसूरत फूल की रक्षा में पहरेदार कांटे ही होते हैं प्रकृति ने हर जगह ऐसा ही बनाया है क्योंकि कठोरता ही सुंदरता की बेहतर सुरक्षा कर सकती है शायद मंदिरों में पत्थरों को सुरक्षा के लिए लगाया गया है यह भी प्रकृति का निर्णय होगा।


सूबे सिंह सुजान 

गुरुवार, 6 अप्रैल 2023

फितरत

 *फितरत*


लोगों को काम करवाने के लिए जो व्यक्ति अच्छा लगता है लेकिन पुरस्कार देने के लिए वो नहीं चाहिए क्योंकि पुरस्कार तो ख़ुद के लिए चाहिए।

लेकिन उनकी तो फितरत है जिनको अपने कसीदे पढ़ते हुए शर्म नहीं आती कि काम कुछ किया नहीं होता और अपनी बढ़ाई अपने मुंह कर रहे होते हैं परन्तु उनकी क्या मज़बूरी है जिनको पुरस्कार देना है और जबकि काम जिनको कहा उन्होंने किया नहीं और जिसने किया है उससे बात तक करने में परहेज़ रहता है?


आदमी इस तरह स्वार्थी होता है और इस स्वार्थ में लिप्त रहते उसको सही व ग़लत में फ़र्क नज़र नहीं आता।

और प्रकृति अपना काम करती रहती है हम प्रकृति में कमियां ढूंढते रहते हैं जबकि कमियां पाती नहीं हैं परन्तु आदतन अपने आपको बेहतरीन कहने के आदी होते हैं।