सोमवार, 23 मई 2022

परिवर्तन की गति में तीव्रता,विनाश की आहट है।

मनुष्य ने अपने जीवन और पृथ्वी के धरातल से आकाश तक परिवर्तन की गति इतनी तीव्र कर दी है कि जीवन में और पृथ्वी पर कभी भी दुर्घटनाएं घट सकती हैं इसके लिए मनुष्य को अपनी पुरानी पीढ़ियों से सीखते रहना होगा अपने जीवन की धरोहरों को जितना हो सके सुरक्षित रखें। आज जो पुराने लोग बचे हैं उनसे सीखना जरूरी है उनके काम करने के तरीकों को, खानपान की आदतों को, पर्यावरण को सुरक्षित करने,मृदा संरक्षण,भोजन, पेड़ पौधों,व मनुष्य में संस्कारों को सुरक्षित रखने के तौर तरीकों को सीखते रहना चाहिए वरना मनुष्य को अन्य प्राणियों की अपेक्षा ज्यादा नुक्सान झेलना पड़ सकता है।

रविवार, 22 मई 2022

ग़ज़ल - अपने बचपन में लौटते रहिये

अपने बचपन में लौटते रहिये, बच्चों के साथ खेलते रहिये। अपने माता पिता और रिश्तों को, बैठकर थोड़ा सोचते रहिये। बेवजह भी खुशी मिलेगी बहुत, उंगलियों को मरोड़ते रहिये। हां! बहुत भागदौड़ रहती है, ज़िन्दगी है, तो दौड़ते रहिये। आपको, जब नहीं कोई सुनता, आप ही आप बोलते रहिये। अपने बचपन में लौटने के लिए, कुछ खिलौनों से खेलते रहिये। जन्म से मौत तक सफ़र अपना, ज़िन्दगी क्या है सोचते रहिये। दृष्टि परमात्मा की पाओगे, निर्बलों को उभारते रहिये।

जो अपने आप उगता है हम सब वो घास हैं।

जो अपने आप उगता है हम सब वो घास हैं। इसीलिए हम एक दूसरे के पास हैं। जीवन नियमित है जीवन का नियम है एक दूसरे की समीपता प्रकृति के हर कण में जीवन के गुण मौजूद रहते हैं। जीवन उत्पन्न होना और जीवन नष्ट होना यही प्रकृति की प्रक्रिया है। जिसमें मनुष्य भी है हम एक दूसरे के पास रहते हैं एक दूसरे के पास रहने का गुण प्रकृति में निहित है। एक दूसरे के पास रहना प्रकृति से प्राप्त गुण है। यह हर प्राणियों में मिलेगा। पेड़-पौधे, जीव जंतु और मनुष्य में, पक्षी, पक्षियों के पास रहेंगे। पेड़- पौधे, पेड़ - पौधों के पास रहेंगे। पशु ,पशुओं के साथ रहेंगे यह प्रकृति में निहित है यह जीवन है मनुष्य के अंदर या अन्य प्राणियों के अंदर दया, क्षमा भाव होना, मनुष्य के पास रहना यह प्राकृतिक गुण है। इसी गुण में जीवन निहित है। इसी गुण में से प्रेम उत्पन्न होता है इसी गुण से दया, क्षमा उत्पन्न होती है जो मनुष्य में वन्य प्राणियों में सभी में निहित है। इसका अंश अलग-अलग मात्रा में हो सकता है परंतु दयालुता, क्षमा भाव, प्रेम भाव सभी प्राणियों में मौजूद है। यह प्रकृति निहित है इसी से जीवन का निर्माण और जीवन का चलना संभव होता है। जीवन अपने आप उगता है और अपने आप निरंतरता के भाव में रहता है। इसी प्रकार जीवन का निर्माण होता है मनुष्य स्वयं की दिनचर्या में व्यस्त होने के कारण, अपने अल्प ज्ञान के कारण यह भाव रखता है कि जीवन हमसे चलता है परंतु ऐसा नहीं है जीवन का पैदा होना प्रकृति निहित था और है एवं रहेगा। जीवन की निरंतरता प्रकृति निहित है हमें जीवन को सूक्ष्मता से देखना होगा जीवन का निर्माण किस प्रकार हो रहा है यह सूक्ष्मताओं का भाव प्रकृति में निहित है। जिसकी पहचान ऋषि-मुनियों ने समय-समय पर की है अनेक विद्वानों साहित्यिक, दार्शनिक, वैज्ञानिक लोगों ने जीवन की सूक्ष्मता के गुणों की पहचान करने के प्रयास किए हैं। जिससे जीवन को महसूस किया जाता है और उसकी प्रकृति का पता चलता है। एक जीव की उसी जीव के प्रति समीपता, निकटता, सूक्ष्मता जीवन में उल्लास, प्रेम, आनंद को भरती है और जीवन की निरंतरता में सहयोग करती है यह प्रकृति ने सभी जीवों में गुण पैदा करने की क्षमता प्रदान की है और उसका प्रयोग करने की विशिष्टता प्रदान की है।

प्लास्टिक और मोनिका भारद्वाज के बच्चे

शिक्षकों के धरना प्रदर्शन में कुछ बच्चे अपनी माताओं के साथ बैठे थे कुछ शिक्षक कोल्डड्रिंक सब शिक्षकों को दे रहे थे तो जब सब कोल्डड्रिंक ले रहे थे तभी दो बच्चों ने कोल्डड्रिंक लेने से मना कर दिया सब शिक्षक अनुरोध करने लगे कि बच्चे ले लो लेकिन वह मना करते रहे पहले सोचा कि कोल्डड्रिंक नहीं पीते होंगे लेकिन मैं पास ही बैठा था मैंने पूछा कि बच्चे क्या बात कोल्डड्रिंक नहीं पीते? बच्चे ने जवाब दिया नहीं अंकल, हम प्लास्टिक का कोई भी समान प्रयोग नहीं करते इसलिए नहीं पीते। अब हैरान होने को और क्या चाहिए जब 5-6 साल का बच्चा यह बात कहे। लेकिन दूसरी तरफ़ शिक्षक थे जो प्लास्टिक के गिलासों में कोल्डड्रिंक पी रहे थे और ज़रा सा भी अहसास नहीं था कि हम क्या कर रहे हैं? इन बच्चों का लालन पालन मोनिका भारद्वाज और उनके पर्यावरणविद् पिता ने किया है जो पर्यावरण को समर्पित हैं यदि इस तरह सब लोग अपने बच्चों को शिक्षित करें तो अपनी पृथ्वी को,भोजन पैदा करने वाली मिट्टी को बचाया जा सकता है और जीवन को, पर्यावरण, पृथ्वी को ज्यादा सनय के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। हमें इस परिवार, बच्चों से प्ररेणा लेनी चाहिए।