दिन गर्म हो जाए तो शाम को हवा घुमडती है
गरमी के व्यवहार पर खूब बिगडती है
कईं बार तो ज्यादा ही झगडती है
रात भर साथ अंधेरे के साथ रहती है,हल्की-हल्की
सुबह फिर सूरज को पकडती है
सूरज अपने आप से खुश है
वह नहीं हवा को देख,छू पाता
उसे सुख-दुख का नहीं मालूम
परन्तु हवा जानती है
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