सोमवार, 21 मई 2012

हवा और सूरज

दिन गर्म हो जाए तो शाम को हवा घुमडती है

गरमी के व्यवहार पर खूब बिगडती है

कईं बार तो ज्यादा ही झगडती है

रात भर साथ अंधेरे के साथ रहती है,हल्की-हल्की

सुबह फिर सूरज को पकडती है

सूरज अपने आप से खुश है

वह नहीं हवा को देख,छू पाता

उसे सुख-दुख का नहीं मालूम

परन्तु हवा जानती है

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