रविवार, 29 दिसंबर 2013

क़िता--सब निभाना पडा ग़मों के साथ…

साल आया भी था ग़मों के साथ।

साल जाने लगा   ग़मों के साथ।।

मां सतायी, पिता को छीन लिया,

सब निभाना पडा ग़मों के साथ।।

वर्ष 2013 ने मेरे पिता को छीन लिया

साल दो हजार तेरह ने 15 मार्च को मेरे पिता को इस दुनिया से विदा कर दिया। और आज मेरी माता को पैरालाइसिस ( अधरंग) रोग से पीडित कर दिया है जिसका इलाज दो दिन से जारी है। मेरे परिवार के लिये इस शुभ कैसे कहूँ। क्या यह 13 के अंक को अशुभ मानने का जो जमाने में चलन है वह सही है। मन को भ्रमित कर दिया है। खैर वेसे तो प्रकृति जो करती है उसको किस समय करना उसे ही मालूम होगा। लेकिन वास्तविकता में मानव को बहुत गहरा आघात लगता है।

साल 1014 आ रहा है इस नव वर्ष को प्रणआम करता हूँ कि मेरे परिवार पर इस 13 के पडे ग़म को कम करना कुछ नया काम करके। ऐ 2014 मैं आपके आगमन के लिये प्रणाम करता हूँ आपका स्वागत करता हूँ।