तुम हुये गम हुये शराब हुई
इस तरह जिंदगी खराब हुई
चाँद को कुछ गिला नहीं होता
जुल्फ,बादल हुई,नकाब हुई
दिल जलाया तो भी नहीं निकली
तेरी यादें तो आफताब हुई
घर से बाहर वो जबसे जाने लगी
पंखुडी सी खिली,गुलाब हुई
इक झलक के लिये भटकता है दिल
इक झलक जब मिली अजाब हुई
वक्त आने पे सब उफनता है
चलते-चलते नदी शबाब हुई
सूबे सिहं सुजान
sube singh sujan
vill. sunehri khalsa
p.o. salarpur pin-136119
distt, kurukshetra,haryana,india
mob. +919416334841
e-mail- subesujan21@gmail.com
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