बुधवार, 4 अप्रैल 2012

सफाई तो सब चाहते हैं……(लघुकथा)

गाँव से खेतों में जो पगडंडी वाला कच्चा रास्ता जाता है आज जब सुबह उससे गुजर रहा था तो देखा कि रास्ते पर जगह-जगह राख,पालिथीन और घर का कूडा-करकट बिखरा पडा है जो पूरे रास्ते पर एक कतार में पडा था। अगले दिन फिर यही क्रम था जब मुझे कईं दिन ऐसा ही क्रम दिखाई दिया तो मैंने उस बली नाम के किसान से पूछ ही लिया कि आप को रोज यह कूडा यहाँ रास्ते में बिखेरने से क्या मिलता है ये पालिथीन तो हमारे खेतों,फसलों के लिये जहर का काम करता है और फसल की पैदावार को कम करता है। क्या तुम्हें इस बात का नहीं पता? तो वह बोला इससे क्या फर्क पडता है गाँव की गलियों में भी तो  बिखरा पडा है अरे भाई तो क्या खेत भी गन्दे करने हैं गाँव को भी साफ कर सकते हैं अगर हम थोडा अपने कामों पर ध्यान दें,सफाई तो सबको अच्छी लगती है यह वाक्य हम बहुधा बोलते हैं लेकिन जब सब सफाई चाहते हैं तो यहाँ गन्दगी क्या दूसरे देश के लोग फेंकते हैं वो भी तो हमीं हैं। और बली मेरी तरफ इस तरह मुस्कुराया जैसे मैने कोई गलत बात कह दी और उसकी हंसी मुझे दोषी कह रही हो। और वह अपने काम को चलता बना मैं अपराधी सा खडा देखता रह गया।

 

                                                                                                                                                                                                                  सूबे सिहं सुजान

पता- गाँव सुनेहडी खालसा

डाकखाना-सलारपुर-पिन-136119

जिला-कुरूक्षेत्र,हरियाणा

मो.09416334841

मेल-subesujan21@gmail.com

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