फसल कटने लगी और आँधियाँ ही आँधियाँ आई
शिकायत आदमी की करने बादल बिजलियाँ आई..
खडे छह मास से उम्मीद में जिसकी, वही लूटी,
हमारे आँसुओं में तैर कर कुछ किश्तियाँ आई….
हमीं दौलत के पीछे थे मुहब्बत को तलाशा कब,
इसी कारण हमारे बीच में ये तल्खियाँ आई…..
10-04-2012, सूबे सिंह सुजान
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