आह ठण्डी कोई हमारी है
सुब्ह की ओस सबको प्यारी है
रात के वस्त्र शाम पहने है,
आसमाँ से परी उतारी है
खेल ले जितना खेल सकता है,
जिन्दगी सिर्फ एक पारी है
नींद में बोलने लगे हैं लोग,
जिन्दगानी की दौड जारी है
कह नहीं सकता अब कोई ऐसा,
"ये जमीं दूर तक हमारी है"
आप इतना बता नहीं सकते,
किस तरह ये जगह तुम्हारी है
रोज हंस ले तो रोज रो भी ले,
हंसना रोना दुकानदारी है
मुस्कुरा अपने-आप पर भी "सुजान"
मुस्कुराना तो लाभकारी है
............ .................सूबे सिहं" सुजान"
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