गौरव का मन उसे उत्साहित कर रहा था कि वह भी अपने बडे भाई के साथ नये स्कूल में पढने जाएगा। जबकि अभी चौथी कक्षा ही पास की है उसने इसी स्कूल में ही पाँचवी पढनी है परन्तु उसका बडा भाई पाँचवी पास कर चुका है ऐर वह अब नये स्कूल में जाएगा तो उसका मन अब प्राईमरी स्कूल में नही लग रहा था। उसके पिता गरीब हैं उसको वहीं पढाना चाहते हैं लेकिन बच्चे की जिद को कौन समझ सकता था और अब उसका दाखिला वहीं कर दिया गया है अब उसके मन में सारे स्कूल के छोटे बच्चों पर धाक जमाने का विचार आया और वह सब बच्चों पर अपनी धाक चलाने लगा है। पढाई की तरफ से उसका मन हट चुका है। अध्यापक उससे सर माथा खपाकर तंग हो चुका है लेकिन उसकी समस्या कोई नहीं समझ पा रहा है वह अपने साथियों से कहने लगा था कि वह सबसे बडा है इस स्कूल में अब मुझे किसी का डर नही है,और मुझे कोई फेल नही कर सकता अब सरकार ने नियम बना दिया है कि किसी भी बच्चे को मास्टर फेल नही कर सकते तो अब मुझे पढने की जरूरत नही हैं मेरे पापा कह रहे थे अखबार में ऐसा आया है जब अध्यापक ने उसकी बातें सुनी तो अध्यापक अवाक रह गया और उस बच्चे को समझाने लगे कि बेटा पढने के लिये तो पढना ही पडेगा नही तो तुझे कुछ नहीं आएगा। लेकिन बच्चे का मन बदल चुका था और अध्यापक सरकार के बारे में सोच कर अपना मन मैला कर रहा था।
सूबे सिहं सुजान
9416334841,, कुरूक्षेत्र
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