हर मौसम को जीने दो।
देखिए। सर्दी के बारे में अफवाहें मत फैलायें।
कि सर्दी आ गई है,यह हो गया, वह हो गया।लोग ठंड से मर गए आदि आदि। सर्दी की अफवाहें मत फैलाओ अपने आप को ठीक करो कभी गर्मी की अफवाहें कभी सर्दी की बेवजह अपनी ख़बर बेचने के लिए, अपने सामान बेचने के लिए कुछ भी बोलते हैं इसलिए आम जनमानस को यह विवेक से काम लेना चाहिए।
सच में तो सर्दी पहले से बहुत कम हो गई है नाममात्र रह गई है और यह सब मानव की भौतिकवादी मशीनीकरण से हो रहा है जो प्रकृति के विरुद्ध अन्याय है जिस प्रकार हम अपने ऊपर कोई अन्याय होता है उसके लिए चिल्लाते हैं धरना प्रदर्शन करते हैं कोर्ट जाते हैं उसी प्रकार प्रकृति को भी अपनी कोर्ट जाना पड़ता है और उस पर भी हम हाय-तौबा करते हैं लेकिन कितनी भी हाय-तौबा कर लीजिए प्रकृति अपने न्याय के लिए तो लड़ेगी उसका भी अपना हक़ है।
जीवन बनाए रखने के लिए संतुलन अति आवश्यक है और वह संतुलन मनुष्य तो कभी नहीं बनाता वह महालालची, धूर्त श्रेणी का जीव है वह सब जीवों पर, प्रकृति के सब संसाधनों पर अपना हक़ जताता है और केवल असंतुलन पैदा करता है और ऐतिहासिक तथ्य बताते हैं कि यह अंधानुकरण या कहें मूर्खता यूरोपीय देशों,समाज ने की है हम एक बात कहेंगे कि जीवन को मशीनीकरण ने आसान बनाया है, ठीक है बिल्कुल बनाया है लेकिन उतना ही सच यह भी है कि रोगी भी बनाया है,असमय मृत्यु का ग्रास भी बनाया है हजारों, लाखों लोगों को मारा भी है और आयु कम कर दी है आकाश,पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि को प्रदूषित कर दिया है न जाने कितने करोड़ों जीवों को असमय मारा है।
अपने लिए न्याय मांगने दौड़ते हैं और लाखों, करोड़ों जीवों को असमय मारते हैं?
इसलिए प्रकृति अपना काम अपने आप करेगी आप रोयें, चिल्लायें कुछ भी करें।
इससे अच्छा यह होगा कि आप सर्दी का आनंद लीजिए समय पर अपना प्रबंधन कीजिए हर मौसम अच्छा है उसकी सकारात्मकता को पहचानें और उसका आनंद लें।हर मौसम को जीने दो।
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