my poetry मेरी गजलें और कवितायें
आदमी, आदमी असाधारण
हो गई दोस्ती असाधारण।
आपसे दोस्ती असाधारण
फिर हुई दुश्मनी असाधारण।
दोस्तों को परख़ लिया हमने,
जो न देखा वही असाधारण।
सूबे सिंह सुजान
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