मंगलवार, 11 मार्च 2025

जो न देखा, वही असाधारण

 आदमी, आदमी असाधारण

हो गई दोस्ती असाधारण।


आपसे  दोस्ती  असाधारण 

फिर हुई दुश्मनी असाधारण।


दोस्तों को परख़ लिया हमने,

जो न देखा वही असाधारण।


सूबे सिंह सुजान 



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