अमीन साहित्य सभा की तरफ से स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर 14 अगस्त 2012 को सांय 7 बजे मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें जिला कांग्रेस के अध्यक्ष जय भगवान शर्मा (डी.डी.) मुख्य अतिथि रहे। व अध्यक्षता की करनाल से आये डा. महावीर शास्त्री ने। मंच के साहित्य अतिथि के रूप में डा. सत्य प्रकाश तफ्ता ने शिरकत की। मुशायरे में भाग लेने वाले मुख्य शायरों में चण्डीगढ से सत्यपाल सरूर, अम्बाला से रमेश तन्हा, करनाल से डा. सरिता आर्य,डा. ज्ञानी देवी, कैथल से गुलशन मदान, कमलेश शर्मा, पेहवा से डी.पी. दस्तूर, श्याम लाल बागडी, तथा कुरूक्षेत्र से स्थानीय शायरों में सत्य प्रकाश तफ्ता,डा. कुमार विनोद,डा. बलवान सिंह, सूबे सिंह सुजान,डा. सलोनी,डा. दिनेश दधीचि,दीदीर सिंह कीरती, दीवाना,कस्तूरी लाल शर्मा शाद,ओम प्रकाश राही,डा. सुधीर कुमार रामेशवर दास गुप्ता आदि शाइर, कवियों ने जम कर ग़ज़लें व कवितायें पढी।
कवियों ने भारत माता को याद किया व शहीदों के बलिदानों का गुणगान किया। सुजान ने अपने हाइकु में कहा-अमर रहे। बलिदान शहीदों का, अमर रहे। और ग़ज़ल के तीखी संवेदना को झकझोरते हुय़े शेर देखिये- बम फटा था निशान बाकी है, पूछ ले कोई जान बाकी है।डा. सरिता आर्य का बदलाव का नया रंग--- रिवायतों के सहारे कब तक कटेगी ये उम्र,आओ कुछ तोड-फोड करें सुधार के लिये। सत्यपाल कौशिक ने कहा—वफ़ा के शहर में मक़बूल थी सदा अपनी,मगर न पहुंची ये उन तक भी ना रसा-कितनी। रमेश तन्हा ने कहा—बेलौस रही सदा मुहब्बत तेरी,तू न ले कभी किसी से नफ़रत । गुलशन मदान ने कहा—कुछ मत पूछो अपना हाल, कुदरत ने किया कमाल।।
डा. महावीर प्रसाद शास्त्री की कविता बहुत ही गहनता लिये हुये थी। जो स्त्री की मार्मिक अनुभूति को बयान करती है। देखें—पुरूष हमें तब चूमते हैं,जब हम सोये हुये होते हैं आराम से,और हम उनहें तब चूमती हैं, जब वे रो रहे होते हैं। और देश के हालात पर देखिये कितनी सार्थक कविता –ये चाँदी का टुकडा तेरा,ये चाँदी का टुकडा मेरा, अपने-2 टुकडों में से काट कर कुत्तों को भी तो देना है,जो रात बिरात पैहरा देते हैं।
इस तरह कुल मिला कर यह मुशायरा सफल रहा।जिसके पुरोधा बेधडक शायर बाल कृष्ण बेज़ार रहे।
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