my poetry मेरी गजलें और कवितायें
बम फटा था निशान बाकी है
पूछ ले कोई जान बाकी है।।
जितना सामान था वो लूट लिया,
मेरे दिल की दुकान बाकी है।।
सूबे सिंह सुजान
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