शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

1.ग़ज़ल- गुमशुदा…ग़ुमशुदा

पहले पहल तो देखिये बादल है गुमशुदा

बादल अगर कंही मिला भी तो जल है ग़ुमशुदा।

जंगल न खेत, अब नहीं मिलते ज़मीन पर,

आमों से भोर, और वो कोयल है ग़ुमशुदा

अठखेलियों भरी वो मुहब्बत नहीं रही,

अब गौरियों के पावों से पायल है ग़ुमशुदा

आँखों  की सारी शर्मो-हया खत्म हो गई,

पानी भी सूख़ा और वो काजल है ग़ुमशुदा।।

                                                     सूबे सिंह सुजान

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