बुधवार, 4 जुलाई 2012

दो -पध बंध

पुराने सब हो गये धरोहर
किले, हवेली, नदी, सरोवर
घटा-बढा तापमान ऐसे,
कि रात दिन अब हुये बराबर।

 

जहाँ भी रस्ता सही नहीं था,

वहीं पे तोडे,बिछाये पत्थर

हवाओं में जहर किलने घोला,

हुआ यहाँ साँस लेना दूबर…।

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