बुधवार, 13 जून 2012

जय शंकर प्रसाद जी..

छूने में हिचक,देखने में पलकें आँखों पर झुकती हैं,
कलरव परिहास भरी गूँजें,
अधरों तक सहसा रूकती हैं।
                     - जय शंकर प्रसाद

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