शुक्रवार, 30 सितंबर 2022

ज़िन्दगी को संवारने के लिए, मुश्किलों से गुजरना पड़ता है।

 खुश्बुओं को बिखरना पड़ता है।

और फूलों को मरना पड़ता है।


ज़िन्दगी क्या है जानने के लिए



,

ज़िन्दगी में उतरना पड़ता है।


कोई आवाज़ दे अगर दिल से,

हमको दिल से ठहरना पड़ता है


उनसे मिलने के हैं सबब इतने,

हमको सजना, संवरना पड़ता है।


जिनको ऊंचाई ज़िन्दगी में मिली,

उनको झर झर के झरना पड़ता है।


ज़िन्दगी को संवारने के लिए,

मुश्किलों से गुजरना पड़ता है।


मौत कैसी है जानने के लिए,

एक दिन सबको मरना पड़ता है।


पेट की आग को मिटाने को,

रोज़ कुछ काम करना पड़ता है।


है बना ऐसा, आदतन पानी,

उसको ख़ुद ही निखरना पड़ता है।


ख़ुद ब ख़ुद मुंह में फल नहीं आते,

तोते को फल कुतरना पड़ता है।


गलतियां ही सिखाती हैं जीना,

आदमी को सुधरना पड़ता है।


डर किसी चीज़ का नहीं होता,

अपनी इज़्ज़त से डरना पड़ता है 


झूठ जब काम अपने आए "सुजान",

हमको सच से मुकरना पड़ता है।


सूबे सिंह सुजान


कुरूक्षेत्र हरियाणा

9416334841


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