ज़िन्दगी रह गई उमस होकर
आप मिलना मुझे सरस होकर।
एक। तेरे बग़ैर। गुजरा है,
एक दिन भी कईं बरस होकर ।
प्यार में दर्द, हर जगह पाया,
रह गया मैं तहस-नहस होकर ।
सारी दुनिया की ठोकरें खायी,
आ गया तेरे दर विवश होकर ।
आदमी खोखला है अन्दर से,
आप भी देखना सहस होकर ।
ये है हासिल,तनुक मिज़ाजी का
बोलना बंद है बहस होकर ।
सूबे सिंह सुजान
Bahut khub
जवाब देंहटाएंBahut khub
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार जी।
जवाब देंहटाएंहमेशा स्वागत है।
धन्यवाद