गुरुवार, 13 अक्तूबर 2022

नज़र नज़र से मिला रहे हो

 नज़र नज़र से मिला रहे हो।

के दिल में क्या है बता रहे हो।


हथेलियों को सजा रहे हो 

जनाब किसको लुभा रहे हो।


बहुत चढ़ावा चढ़ा रहे हो?

 ख़ुदा को रिश्वत खिला रहे हो।


नज़र हटा लीजिए ज़रा सी, 

क्यों मेरी धड़कन बढ़ा रहे हो।


 अदा तुम्हारी है खूबसूरत,

 तुम आँखों से मुस्कुरा रहे हो।


 ये गीत तो वक्त ने लिखा है,

 कि तुम जिसे गुनगुना रहे हो।


ये वक्त कैसे गुजर रहा है,

तुम आज चल कर दिखा रहे हो।


वही तो खड्ड़े हैं जिंदगी में, 

जिसे तरक्की बता रहे हो।


सूबे सिंह सुजान

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