सोमवार, 10 जून 2013

मेरे दोस्त को ये क्या हो गया है। सुना है के वो शायर हो गया है।।

दोस्त, दोस्त होता है । दोस्त कभी बेवफ़ा नहीं होता।

करूक्षेत्र- (9जून2013) अदबी संगम करूक्षेत्र, की उसके संस्थापक श्री चन्द्र प्रकाश भारद्वाज ‘दोस्त’ को विशेष श्रृदांजलि गोष्ठी का आयोजन किया गया।ज्ञातव्य है कि श्री दोस्त जी का इंतकाल  4 जून की शाम को हो गया है। जिसकी याद में अदबी संगम ने एक विशेष गोष्ठी का आयोजन किया। सर्वप्रथम उनके चित्र के सामने प्रो.सत्य प्रकाश ‘तफ़्ता’ ज़ारी,डा. के.के. ऋषि,व उनके पोत्र अर्पित पंडित ने पुष्प अर्पित किये। उसके बाद अदबी संगम के सभी 27 सदस्यों ने पुष्प भेंट किये।

 

आज की विशेष गोष्ठी का संचालन डा. बलवान ने किया। जिसमें सर्वप्रथम ओम प्रकाश राही जी ने दोस्त को सबका दोस्त कहा साथ ही कहा कि वह कंई बार गुस्सा हम पर किया करते थे जो कि नियमों का पालन के रूप में वे करते थे।श्री रत्न चंद सरदाना ने उनकी लिखी पुरानी ग़ज़ल का शेर सुनाया- दोस्त नौकरी से रिटायर्ड हो गया है। सुना है वो शायर हो गया है।। यह शेर उन्होने रिटायर्ड होने पर कहा था।, संगम के वर्तमान प्रधान कस्तूरी लाल शाद ने कहा कि- वे सुख-दुख में कभी विचलित नहीं हुये और उन्होने गीता सार को सार्थक जिया है।,  सार्थक साहित्य मंच के संरक्षक प्रो. वी.डी.शर्मा ने कहा कि- इस अवसर पर हमें दोस्त को याद करते हुये उनकी ही तरह साहित्य के श्रेत्र में नये पौधे लगाने चाहिये।, चन्द्रमोहन सिंगला ने कहा- कि उनके परिवार जनों का सौभाग्य है कि उनको उन जैसा साफ दिल का इंसान व शायर मिला। हमें व उनके परिवार को उनके लिखे हुये साहित्य को प्रकाशित करवाना चाहिये। जनाब बाल कृष्ण ‘बेज़ार’ ने कहाृदोस्त जिंदादिल थे जिंदा हैं तथा जिंदा रहेंगे।, दोस्त के स्कूल के हमशायर,हमक़लम डा.के.के. रिषि ने कहा- दोस्त ने अदब का जो पौध लगाया था वो केवल लगा कर छोडा ही नहीं, बल्कि उसकी जिन्दगी भर देखभाल भी की है। इससे बढकर कौन सा रिश्ता है। जो उन्होने निभाया है।, प्रो. सत्य प्रकाश तफ़्ता ज़ारी ने कहा कि दोस्त अदब को समर्पित थे और जो भी कहते थे बहुत ही सोच-समझकर कहते थे।, स्वामी लोकेश गम्भीर ने श्री कृष्ण के गीता संदेश को याद करते हुये कहा कि हर आदमी एक दिन अपने पुराने कपडे उतार कर नये वस्त्र धारण करता है उसी प्रकार दोस्त जी भी अपने नव जीवन के लिये हमसे विधा हो चुके हैं।, विनोद धवन ने कविता के माध्यम से कहा—वो ऊँगली से शेर कहने की अदा,वो चश्मे के इशारों से बात करना।अदबी संगम नाम का थैला इतना भारी था,ये हमने आज जाना, जिसे तुम हमेशा अपने कंधों पर उठाये रहते थे।।सूबे सिंह सुजान ने एक शेर पढा- आदमी नेक सब नहीं होते। दोस्त जैसे क्यूं अब नहीं होते।। इस अवसर पर उनके परिवार से उनके पौत्र अर्पित पंडित मौजूद रहे। इसके अलावा अन्य सदस्यों में श्री राकेश भास्कर,डा. श्रेणिक लुण्कड,गुलशन ग्रोवर,दीदार सिंह किरती,डा. शकुन्तला, डा. उषा अग्रवाल,कविता रोहिला, श्याम लाल बागडी, सुधीर ढाण्ढा , रमेश शर्मा,मुनिन्द्र मौद्गिल आदि सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किये।

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