हर तरफ रास्ते निकलते हैं
पूछ कर आपसे निकलते हैं।
हम जहां भी गये जमाने में,
आपके ही पते निकलते है।
प्यार की टहनियां हरी रहती,
रोज़ पत्ते नये निकलते हैं।
सब ज़रूरत में काम आयेंगे,
लोग अच्छे,बुरे निकलते हैं।
जिनको छोटे समझ के बातें की,
वो ही हमसे बड़े निकलते हैं।
वो तमाशा या हो लड़ाई भी,
हर कोई, देखने निकलते हैं।
🤭
सूबे सिंह सुजान
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