गुरुवार, 29 नवंबर 2018


अंबेडकर और गाँधी समाज के नायक हैं ।

भारतीय समाज के वर्तमान परिदृश्य में अंबेडकर व गाँधी की आवश्यकता शिद्दत से महसूस की जा रही है पिछले कुछ समय से यह मसहूस किया जा रहा कि महात्मा गाँधी ने भारत के बंटवारे व अन्य देशभक्तों के साथ जो जो अन्याय में  उन्होने अनदेखा किया है वह भारतीय जनमानस में एक पक्ष सहन नहीं कर पा रहा है वास्तव में जिस के साथ गुजरती है वह जानता है कि उसने अपना सब कुछ परिवार आदि देश के लिये खो दिया लेकिन गाँधी जी उस समय ऐसे मकाम पर थे कि उनके कहे को सुना जाता था लेकिन कुछ ऐसे निर्णय उन्होंने उस समय में लिये जो सबको हैरान करने वाले रहे हैं उस सब कुछ के बाद भी उनका दर्शन बहुत महत्वपूर्ण है विश्व उनके सिद्धांतों से परिचित है और उनकी आवश्यकता को महसूस करता है हम यह भी मान कर चलते हैं कि गाँधी की चुप्पी गलत रही है लेकिन उनके अनेकों कार्य ऐसे रहे हैं जिनके आगे उनकी कमियाँ छोटी पड़ जाती हैं और उनके दर्शन को मान कर हम वर्तमान भारतीय समाज को नई राह दिखाने में जितना भी सहायक हो सकता है उसकी भरपूर सहायता को स्वीकार किया जाये और उनको कहा व सुना जाने की आवश्यकता है भारतीय समाज को विभिन्न विदेशी सरकारी ताकतें, धार्मिक,उग्रवाद आदि विखंड़ित करने में पूरजोर कोशिशें कर रही हैं और वे कामयाब भी हो रही हैं हमें अपने समाज को एक करने में महात्मा गाँधी की भूमिका का लाभ लेना होगा जो कि आज भी भारतीय समाजिक दायरे पर प्रभाव रखता है समाज को नई दिशा देने में उनकी शिक्षाओं को पुनः प्रचारित किया जाना चाहिये।  
                          दूसरे बड़े कद में डाँ बी आर अंबेडकर साहब आते हैं इनका योगदान भारतीय संविधान के अलावा अनेकों समाजिक कुरीतियों को दूर करने में सहयोगी रहा है यह वर्तमान समाज को एक करने में, देश की प्रगति को उच्च स्तर तक पहुँचानें में सहयोगी रहेगा उनके कहने से , उनके पढ़ने से , उनकी शिक्षाओं को प्रचारित करके हम समाज को पुनः एकिकृत कर सकते हैं जो समाज आज के समय में विखंड़ित हो रहा है जिसे बाहरी शक्तियाँ नष्ट करने में लगी हुऊ हैं जिसमें कुछ राजनीतिक शक्तियाँ बढ़ावा देती आई हैं उनसे बचने की आवश्यकता है व अंबेड़कर के भारतीय सिद्धांतों को अपना कर पूरा किया जा सकता है इनको भी समाज के एक पक्ष को ग्रहण करना होगा जो कि बहुत ही जरूरी है समाज के सभी पक्षों को दोनों महापुरूषों को वर्तमान के परिदृश्य में स्वीकार करना होगा ।
                                                                 सूबे सिंह सुजान    

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