ग़ज़ल
उनके कहने से जो हर बात सही होती है
तो मैं ये समझूँ के सब उनकी कही होती है
हम जिसे जाँच परख़ देख रहे होते हैं
बाद उसके भी परख़ बाक़ी रही होती है
ज़िन्दगी मुझसे यूँ तो रूठ गई है बेशक
दिल की इन धड़कनों में फिर भी वही होती है
अपनी नाक़मी का इल्ज़ाम जो ओरों को दे
सच में उसने कोई कोशिश की नहीं होती है
मुँह से जो बोलते हैं सच वो नहीं होता है
दिल में जो बात है चेहरे पे वही होती है
शायर सूबे सिंह "सुजान"
मुझे सूचित करें
जवाब देंहटाएंशानदार ज़नाब
जवाब देंहटाएंमनजीत भोळा
बहुत बहुत ॉॉशुक्रिया मनजीत जी ल
जवाब देंहटाएंhttps://subesinghsujan.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंसच में बहुत अच्छी👌👌👌👌👌👌
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