बुधवार, 27 जून 2018

प्रेम तरल

मैं इस तरह तरल होकर प्रेम में गुजरता रहता हूँ कि जैसे
मोटर ने पानी को पाइप में तीव्र गति से मोड़ देते हुए टंकी तक पहुँचा दिया और पानी ने आह तक न की जैसे जैसे धक्का मिला आगे चलता रहा ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें