रविवार, 18 मार्च 2018

ग़ज़ल,कविता को मुकाबला करना होगा बच्चों में बढ़ती नशे,व्यसनों के बढ़ते दुराचारों के साथ । अदबी संगम कुरूक्षेत्र की काव्य गोष्ठी में उपस्थित शायर कवि ।

आज दिनांक 18 मार्च 2018को नवसवंत्सर वर्ष के शुभ अवसर पर अदबी संगम कुरूक्षेत्र की मासिक काव्य गोष्ठी डॉ बृजेश कठिल जी की मेजबानी में और प्रो महेन्द्र पाल माथुर जी की अध्यक्षता में हुई ।

काव्य गोष्ठी में कवियों ने नव वर्ष पर व सामयिक मुद्दों पर रचनाओं का पाठ किया ।
जिनमें सर्वप्रथम करनैल खेड़ी ने कहा ये ग़ज़लें,ये नज़्में मेरा तजुर्बा हैं,ये मैंने कोई सपनों में नहीं देखी ।

डॉ शकुंतला शर्मा ने हरियाणवी गीत में हरियाणवी संस्कृति का कुछ यूँ बयान किया  ध्यान लगा कै सुणियो रै, सै बात या ध्यान लगाणे की ।
देसी खाणा,देसी बाणा  , मैं छोरी सूँ हरियाणे की ।

रत्न चंद सरदाना जी ने वर्तमान व्यस्त व मशीनी जीवन पर तंज कसते हुए एक पिता के दर्द को बयान करते हुए कहा - ख़प गई जवानियाँ बच्चों के नाम पर ।
अँधेरे में चल रहे लाठियों को थाम कर ।।

पंजाबी कवि दीदार सिंह कीरती ने वर्तमान संदर्भों पर अपनी कविता में करारा व्यंग्य कसते हुए कहा - डंगर बहुत आवारा फिरदे,जिधर देखो गाँ ही गाँ,  और सरकारी लोग गाँ नहीं कहते,कहते भाषण विच माँ ही माँ ।

कस्तूरी लाल शाद जी ने कहा -अपनों का ही भरोसा देता रहा है धोखा, सीमा का हर प्रहरी लगता ठगा ठगा है ।

ओम प्रकाश राही जी ने देश भक्ति पर रचना पढ़ते हुए गीत गाया - राही कफ़न तिरंगे वाला,चूम चूम कर गाती माँ ।
अगर और इक बेटा होता वतन पे उसे लुटाती माँ ।

संजय कुमार मित्तल ने कविता में कहा -

हे भारत माँ नमस्ते,नमस्ते नमस्ते
और मैं तुमको क्या दूँ,देने को है ही क्या मेरे पास
स्वीकार करो मेरी नमस्ते नमस्ते नमस्ते ।

उर्दू शायर जनाब शमीम हयात ने ग़ज़ल के खूबसूरत शेर पढ़ते हुए कहा - एक दिन उसको देखा संवरते हुए
जितने चेहरे थे सब आइने हो गए ।

डॉ संजीव अंजुम ने जिंदगी की सादगी और हकीकत पर शेर पढ़ते हुए कहा -

दिल से होकर ज़ीस्त की जागीर में शामिल हुआ
क़िस्सा ए ग़म यूँ मेरी तक़दीर में शामिल हुआ ।

डॉ बृजेश कठिल जी ने अपनी वस्तुस्थिति कविता में एक कर्मचारी के रिटायर्ड होने पर घर बनाने की व्यथा पर ,उसके बुढ़ापे के संघर्ष की कहानी को कविता में पिरोते हुए कहा -

साठ बरस की उम्र में घर बनाना,
दुस्साहस तो है , मगर उसने बनाया ।

अपनी नई ग़ज़ल में सूबे सिंह सुजान ने कहा -

उनके कहने से जो हर बात सही होती है
तो मैं ये समझूँ के सब उनकी कही होती है

हम जिसे जाँच परख़ देख रहे होते हैं
बाद उसके भी परख़ बाक़ी रही होती है ।

इसके अलावा अन्य शायर,कवियों में डॉ श्रेणिक लुंकड़ बिम्बसार, गंगा मलिक ने भी काव्य पाठ किया ।




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें