दिल में तुम्हारे जो घुमाँ ,है वो इधर भी है
दीवार फाँद तो लूँ,मगर इसमें डर भी है।।
तुम कनखियों से देख कर जब मुस्कुराती हो,
क्या हाल मेरा होता है तुमको खबर भी है।।
उलझा के जुल्फ़ तेरी, मज़े ले गई हवा,
ये खूबसूरती का नज़ारा नज़र भी है।।
मिलते ही आँख, आँख से सब कुछ बता गई,
जो कशमकश इधर है, कुछेसी उधर भी है।।
मटता नहीं मिटाने से, ऐसा ख़ुमार है,
जो नाम दिल में नक़्श हैं उनमें जफ़र भी है।।
वो शहर मेरे ख़्याल में सबसे हसीन है,
जिस शहर की सडक के किनारे शजर भी है।।
...............................................सूबे सिंह सुजान
बहुत
जवाब देंहटाएंसुंदर और बहुत खूब
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मिलित हों ख़ुशी होगी