गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013

कर्म प्रधान मुक्तक( यजुवेदी) पुस्तक के लिये जिसके भविष्य के निर्माण में प्रारम्भ

मुक्तक—1

सबके परमात्मा हे ज्योतिर्मान ।

रूप तेरा मनुष्य का विज्ञान।।

सत्य जीवन के प्ररेणादायक,

हम सभी करते आपका गुणगान।।

         2.

आदमी की प्रकृति अहिंसक है।

जो कि जीवन में लाभदायक है।।

हो निडर उच्च स्थान पाओ,

ईश्वर ही हमारा सेवक है।।

          3.

सिर्फ देखने में ही जटिल में हो।

सत्य जीवन के खेल स्थल में हो।।

जिन्दगी वायु-अग्नि जल से है,

क्यों न जीवन उथल-पुथल में हो।।

              4.

शाखे रस,बल हमें प्रधान करो।

वो ग्रहण हम करें जो दान करो।।

फूल फल प्राप्ति को यज्ञ करते,

सब समस्याओं का निदान करो।।

……………………………………….अथप्रथमाः इति।

          5.

हे पवित्र भूमि कामनाओं की।

सृष्टि तुम हो संभावनाओं की।।

तुम इसी चक्रव्यूह में चलना,

तुम स्थली हो उपासनाओं की।।

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