शुक्रवार, 4 जनवरी 2013

ग़ज़ल—जिंदगी हम भी समर तक आ गये।।

जिंदगी हम भी समर तक आ गये।

गाँव से चलकर नगर तक आ गये।।

मुस्कुराते  -  मुस्कुराते  वो   सभी …,

रास्ते के पेड  घर तक आ  गये।

सामने  आते  ही  उनके  यूँ  हुआ,

ज़ख़्म सब दिल के नज़र तक आ गये।

खूबसूरत सी बला लगती है वो,

बाल जब सर के कमर तक आ गये।

एक जंगल में पुराना पेड हूँ,

काटने को वो इधर तक आ गये।

प्यार एहसासों से निकला इस तरह,

दिल के रिश्ते अब खबर तक आ गये।।

…………………………………सूबे सिंह सुजान

2 टिप्‍पणियां: