शनिवार, 15 जून 2024

और बगीचा उजड़ गया। सूबे सिंह सुजान

 एक बगीचे की देखभाल चार माली करते थे वह हर पौधे को समय पर पानी देते,खरपतवार निकाल कर बाहर करते,खाद देते और पौधे बहुत प्रसन्न थे लेकिन कुछ नये उगे पौधे उन मालियों का मज़ाक़ करने लगे और बोले कि हम आपके बग़ैर भी मज़े में रह सकते हैं आपके अहसान की जरूरत नहीं है और धीरे-धीरे उन मालियों को बाहर निकालने लगे और कुछ भेष बदले हुए शिकारियों से दोस्ती कर ली वह शिकारी बहुत से झूठे प्रलोभन देते थे।

माली अपनी इज़्ज़त को देखते हुए बगीचे से बाहर बैठ गए और कभी कभी बुजुर्ग पेड़ों को सलाह देते थे परन्तु उनकी सलाह नहीं मान कर भेष बदले शिकारियों को इज़्ज़त से बैठाया गया।

उन शिकारियों ने नये पौधों को पैसे, सड़कों को बनाने की सलाह देकर कुछ बुजुर्ग पेड़ों को काटने की सलाह दी और लालच दिया नये पौधे मान गए।एक दिन मौका देख कर उन शिकारियों ने कुछ पेड़ काट दिए और बुजुर्ग पेड़ों की बात नहीं सुनी गई अब बुजुर्ग पेड़ चिल्लाते और उनके बच्चे नये पौधे उनका मज़ाक करते थे लेकिन शिकारियों ने धीरे धीरे बहुत पेड़ काट कर बेच दिए अब कुछेक नये पौधों का नंबर आने लगा कुछ पौधे बोलने लगे तो शिकारियों के चमचे पौधे उन पर टूट कर पड़े। इस तरह अब वह बगीचा उजड़  रहा है और माली दूर बैठे रो रहे हैं और नये पौधे अपनी जान की भीख मांग रहे हैं और कुछ कर नहीं सकते क्योंकि उनमें एकता और समझ नहीं रही और शिकारी बड़े आराम से शिकार करते हैं और पौधों का ही मज़ाक करते हैं।


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