मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

दान राशि (लघुकथा)

मुझे मेरे पैसे लौटाए जाएं, अपने दोस्त को तीखे, तल्ख़ लहज़े में रणधीर ने कहा। इस बात पर समर चौंक गया। और समर ने रणधीर से पूछा भाई साहब यह क्या बात कह रहे हैं आपने अपने सबसे जिगरी दोस्त प्रमोद की पार्टी को शानदार बनाते हुए उनको, उनके जनहित के कार्यों पर उनको भेंट के लिए दान स्वरूप जो राशि दी थी वह मुझसे क्यों मांग रहे हैं? प्रमोद, रणधीर का सबसे जिगरी दोस्त था। प्रमोद का ही दोस्त समर भी था जो प्रमोद के लिए विदाई समारोह का व दफ्तर के कर्मचारियों से दान राशि लेकर कार्यक्रम को अंज़ाम दे रहा था लेकिन जैसे ही कार्यक्रम पूरा होता है तो प्रमोद का सबसे गहरा दोस्त रणधीर अपने दान दिए पाँच हजार रुपए समर से वापिस मांगता है। समर अब पैसे कहां से देता वह सकपका गया और रणधीर से बोला कि आपने सबके सामने तो प्रमोद की विदाई समारोह के लिए सबसे ज्यादा पैसे दिए थे और आप उसके सबसे गहरे दोस्त भी हैं वह आपके सबसे ज्यादा काम आया है तो आप ही ऐसा कैसे कर सकते हैं? लेकिन रणधीर बिल्कुल नहीं माना और हर रोज़ समर पर दोष मढ़ने लगा। अन्य कर्मचारियों के सामने पैसे की बात नहीं करता लेकिन समर पर लेन-देन में गड़बड़ी के आरोप लगा कर बदनाम करने लगा,हर विषय पर उससे झगड़ा करता लेकिन जब भी समर के साथ प्रमोद सामने होता तो रणधीर प्रमोद को अपने सबसे ज्यादा दान देने का अहसास करवाता और प्रमोद भी खुश हो जाता। © सूबे सिंह सुजान

1 टिप्पणी: