मंगलवार, 5 नवंबर 2019

धुआँ, दिल्ली, हरियाणा ।

प्रदूषण के नाम पर हरियाणा के साथ तो हद हो गई है । दिल्ली को अनाज,सब्जियाँ,दूध,व प्राण वायु देने वाला हरियाणा ही आज दिल्ली की नज़रों में अपराधी है ??? यही प्रश्न जो दिल्ली हरियाणा के किसान पर उठा रही है तो यही प्रश्न वह यदि सही आकलन करती तो बरसों पहले अपने आप पर करती जब वहाँ हर रोज नये वाहन शामिल हो रहे थे कारखाने बन रहे थे वायु को जहरीली बना रहे थे ? यदि यह प्रश्न दो सौ व सात सौ किलोमीटर दूर रहने वाले किसानों पर लागू हो रहा है तो आपकी गोद में जो बरसों से हो रहा है वहाँ क्यों नहीं एक बार भी लागू हुआ?? यदि आपके लिये हर समय ए सी गाड़ी,ऑफिस,घर की जरूरत है तो क्या किसान के लिए खेती करना भी अधिकार भी नहीं है? एक बात तो यह है कि दिल्ली या तो यहाँ से उठ कर किन्हीं जंगलों में जाकर बसेरा कर ले या हरियाणा को कहीं पहाड़ों या विदेश में ही भेज दे । वैसे हरियाणा को कहीं भेज देना ये लोग बहुत जल्दी तरक्की कर लेंगे । दूसरी बात यह भी है अक्तूबर व नवम्बर मास में मौसम में ठंड शुरू हो जाती है आकाश में धुंध व कोहरा छाने लगता है जिससे धुआँ वाष्प कणों के साथ घुल जाता है और भारी होने के कारण जम जाता है यदि वायु गतिशील नहीं है तो वह नीचे ही ठहर जाता है और मनुष्य को साँस लेने में कठिनाई का अनुभव होता है (इस सब के बीच हम मनुष्य केवल अपने लिए ही रोना रो रहे होते हैं अनेक जीव जन्तु जो कष्ट में होते हैं उन्हें भूल जाते हैं ) यदि वायु तेज गति से चले तो आकाश शीघ्र साफ व स्वच्छ हो जाता है किन्तु जिस दिन वायु गतिशील नहीं होती उस दिन यह भयानक लगता है । खैर सबसे हास्यास्पद यह है कि जो मनुष्य यह सब कर रहा है वही मनुष्य शिकायत भी कर रहा है ? यानी कि मनुष्य बुद्धिजीवी तो है ही ?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें