बुधवार, 9 जनवरी 2019

कविकर्म हिज़्र शायर को बाँध लेता है । शायरी ऐसे जीत लेती है ।। सूबे सिंह सुजान


हिज़्र शायर को बाँध लेता है। शायरी ऐसे जीत जाती है ।।

              कवि से अपनी बात कहलवाने के लिये कुदरत कवि को अचानक उदास कर देती है उसे दर्द देती है उसे सबके बीच में अकेला कर देती है फिर कवि और कुदरत आपस में बातें करते हैं और कविताओं का जन्म होने लगता है जैसे आकाश में तीव्र उष्णता के पश्चात बादलों का जन्म होता है और फिर बादलों से पानी बरसने लगता है और फिर पानी बरस कर नदी को जीवन देता है पेड़ पौधों की प्यास बुझाता है सारी प्रकृति को हरित कर देता है कविता होने में कुदरत  यही प्रक्रिया कवि के माध्यम से दोहराती है कवि कभी ख़ुद के लिये जीवन नहीं जीता है वह समाज, परिवेश,वातावरण के लिये जीता है वह अपने सुख त्यागता है और लोगों के सुख देखकर ही सुखों का एहसास कर लेता है और दुखों को ग्रहण कर लेता है यह कवि के जीवन का अभिन्न अंग है ।  



                                                    सूबे सिंह सुजान 


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