मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018

काफिया,रदीफ पर बहुत कम शब्दों में जानकारी

कविता लिखने वाले नव कवियों को प्रारंभिक स्तर पर ध्यान देने योग्य बहुत थोड़ी सी बातें ।


कविता को पहले पहल तो अपने वैचारिक स्तर पर ठीक होना ही चाहिए ।बस थोड़ा बार बार दूसरों को पुराने,नये अच्छे कवियों को पढ़ें । कविता की गतिशीलता,लयात्मकता को आत्मसात करें ।

तुक या काफिया क्या है यह थोड़ा समझना चाहिए ।

जैसे पंक्तियों के अंत में हम जो लय मिलाते हैं 

आघात ।
बाप ।।
?
यह सही नहीं है 

आघात के साथ 
बात,रात,बरसात सही हो सकते हैं ।

उर्दू में हम काफिया कहते हैं जिसमें लय को निर्धारित किया जाता है और जो लयात्मक शब्द के पीछे शब्द होते हैं उन्हें रदीफ कहते हैं अर्थात जो काफिया के पीछे बार बार प्रयोग होते हैं ।
जैसे -..

मेरा शेर है 

मौसम बहुत खराब है थोड़ा संभल के चल 
चेहरा तेरा गुलाब है थोड़ा संभल के चल ।
खबरें बहुत बुरी बुरी पढ़ने में आ रही 
दुनिया हुई खराब है थोड़ा संभल के चल ।

यहाँ खराब,गुलाब,खराब निम्न शब्द काफिया हैं जो लय निर्धारित करते हैं ।
इनके पीछे के शब्द जो पुर्ावृति करते हैं "है थोड़ा संभल के चल "

यह रदीफ कहलाती है ।

खैर फिलहाल इतना सीखो,अभ्यास करो 
फिर और बताऊंगा।

सूबे सिंह सुजान

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