sujankavi
my poetry मेरी गजलें और कवितायें
रविवार, 30 जुलाई 2017
एक शेर
क्या खूब ये अँधेरे उजालों से कह गये
हम बिन तुम्हारी बोलिए इज्जत कहाँ कहाँ?
सुजान
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