सोमवार, 29 दिसंबर 2014

बिछडा हुआ साल

फिर से तारीखें लौट जायेंगी

दर्द दीवारों में दरार हुआ

घर हमारा नहीं,घरों जैसा

इक कबूतर अभी फ़रार हुआ

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