my poetry मेरी गजलें और कवितायें
जुबां दबा कर चले न जाना
कंही समन्दर उबल न जाये,
मेरे हृदय में बसेक डर है,
ह़दय तुम्हारा बदल न जाये।।
……………….सुजान…………..
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें