कभी कभी मेरे सीने में दर्द उठता है
किसी की यादों का अहसास जिंदा रहता है।
किसी की याद ग़ज़ल बनके लफ़्ज़ों में ढली है
बसा हो दिल में जो,शायर वही तो कहता है।
मैं आज अपने किसी ख़्वाब को कुचल आया,
कि अब नहीं मुझे वो ख़्वाब तंग करता है।
तुम्हारा ख़्वाब नहीं देखता मरूथलों को,
वो बार बार समन्दर में ही बरसता है।
बहुत दिनों से शिकायत है इस जमाने से,
मेरी खुशी को जमाना कंहा समझता है।
हमेंशा याद रखो जिन्दगी की सच्चाई,
जो फूल खिल गया वो एक दिन बिखरता है।
जो बेसबब तेरे चेहरे पे मुस्कुराहट हो,
खिला –खिला सा तेरा चेहरा अच्छा लगता है।
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