my poetry मेरी गजलें और कवितायें
मेरे सब दोस्त मतलब देखते हैं
मुहब्बत मेरी वो कब देखते हैं।
मेरी इनसानियत पहचानता कौन है,
सभी के सब तो मज़हब देखते हैं।
वो लडकी भूखी रस्सी पे चले है,
जमाने वाले करतब देखते हैं।।।। -सुजान
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